वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – guruchandal yoga consideration in scorpio/vrishchik

वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

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  • वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरु दुसरे और पांचवें भाव के मालिक होकर एक योगकारक गृह बनते हैं, शुभ फल फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ होने पर सम्बंधित भाव के स्वामी की स्थिति देखना भी अनिवार्य है, यानी जिस भाव में राहु हैं उस भाव के मालिक कहीं छह, आठ अथवा बारहवें भाव में तो स्थित नहीं है, या किसी अन्य कारण से कमजोर तो नहीं है । यदि ऐसा है तो राहु की दशाओं में शुभ परिणाम प्राप्त नहीं होते । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग, किस गृह की की जायेगी शांति….




    वृश्चिक लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in first house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    वृश्चिक राशि राहु देवता की नीच राशि है । प्रथम भाव में स्थित होने पर राहु गृह की शांति अनिवार्य है । गुरु की दशाओं में जातक को शुभ फल प्राप्त होते हैं, प्रेम विवाह का योग बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गुरुचण्डाल योग Gajkesari yoga in second house in Scorpio/Vrishchik kundli :

    धनु राशि भी राहु की नीच राशि है । अतः इस भाव में आकर राहु अपनी दशाओं में अशुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । राहु की शांति अनिवार्य है । स्वराशिस्थ गुरु की दशाओं में शुभ फल प्राप्त होते हैं ।

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    वृश्चिक लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in third house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    मकर राशि गुरु देव की नीच राशि है । यह मुख्य वजह है की गुरु की दशाओं में अशुभ फल प्राप्त होते हैं । वहीँ राहु की दशाओं में भी जातक की परेशानियां बहुत बढ़ी हुई ही रहती हैं साथ ही कुछ छोटे मोटे लाभ होते हैं । गुरु की शांति अनिवार्य है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in fourth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    कुम्भ राशि में आकर दोनों गृह अपनी दशाओं में शुभ फलदायक होते हैं । किसी भी गृह की शांति नहीं करवाई जायेगी ।



    वृश्चिक लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in fifth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    स्वराशिस्थ गुरु अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान करते हैं । राहु की दशाएं शुभफलप्रदायक नहीं होती हैं । राहु की शांति करवाई जाती है अन्यथा राहु की दशाओं में जातक के साथ साथ संतान व् बड़े छोटे भाई बहन को भी कष्ट होता है और गुरु के शुभ फलों में भी कमी आती है ।

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    वृश्चिक लग्न की कुंडली में छठे भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in sixth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    इस भाव में गुरु व् राहु दोनों की दशाएं अशुभ फलकारी हैं । दोनों की शांति अनिवार्य है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में सातवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in seventh house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    सप्तम भाव में दोनों ग्रहों को दशाएं शुभ फलदायक होती हैं । किसी भी गृह का उपाय नहीं करवाया जाना चाहिए ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में आठवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in eighth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    आठवाँ भाव त्रिक भाव में से एक होता है, शुभ नहीं कहा जाता है । आठवाँ भाव वैसे ही भौतिक दृष्टि से शुभ नहीं कहा गया है । गुरु व् राहु भी इस भाव में अशुभता में ही वृद्धिकारक होते हैं । इस वजह से यहाँ स्थित होने पर राहु व् गुरु दोनों की शांति करवाई जाती है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in ninth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    नवम भाव में मित्र राशिस्थ गुरु शुभफलदायक होते हैं । राहु की शांति करवाई जायेगी अन्यथा गुरु की दशाओं में शुभ फलों में कमी आती है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in tenth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    दशम भाव में राहु के स्थित होने पर राहु की दशाओं में बहुत अशुभ फल प्राप्त होते हैं । राहु की शांति करवाई जानी अनिवार्य है । गुरु की दशाएं शुभ फलदायक होती हैं । यदि समय रहते राहु की शांति करवा ली जाए तो गुरु की दशाओं में बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in eleventh house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    ग्यारहवें भाव में आने पर राहु व् गुरु दोनों की दशाएं शुभ फलदायक होती हैं । दोनों ग्रहों की दशाओं में प्रेम विवाह के योग बनते हैं । पुत्र संतान प्राप्त होती है । बड़े छोटे भाई बहन से संबंधों में मधुरता रहती है । चित्त प्रसन्न रहता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in twelth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, शुभ नहीं माना जाता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में व्यर्थ का व्यय लगा ही रहता है । कोर्ट केस में धन व्यय होने के योग बनते हैं । इस भाव में आने पर राहु व् गुरु दोनों की शांति अनिवार्य है ।

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