कर्क लग्न की कुंडली में शुक्र – karka lagn kundali me shukra (venus)

कर्क लग्न की कुंडली में शुक्र – Karka Lagn Kundali me Shukra (Venus)

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  • कर्क लग्न कुंडली में शुक्र चतुर्थेश ( चौथे भाव के स्वामी ) , एकादशेश ( ग्यारहवें भाव के स्वामी ) होते हैं , अतः एक सम गृह हैं । । सुंदरता , सौम्यता , सभी प्रकार की लक्ज़री और सुख – सुविधाओं के कारक शुक्र देवता को चौथे भाव में दिशा बल मिलता है और 12वें भाव में शुक्र दिग्बली होते है । जिस जातक की कुंडली मेंशुक्र बलवान होता है उस पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा जाननी चाहिए । कर्क लग्न की कुंडली में अगर शुक्र बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर शुभ स्थित हो तो अधिकतर शुभ फ़ल ही प्राप्त होते हैं । इसके विपरीत यदि शुक्र डिग्री में ताकतवर न हो तो इनके फलों में कमी आती है । शुक्र सप्तम और द्वादश भाव के कारक ग्रहहैं । आइये जानने का प्रयास करते हैं की कर्क लग्न की कुंडली के १२ भावों में शुक्र कैसे परिणाम देते हैं :

    कर्क लग्न – प्रथम भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukra pratham bhav me :

    जातक बुद्धिमान , रूपवान होता है । पति / पत्नी सुंदर मिलता है । शुक्र की महादशा में साझेदारी में लाभ का योग बनता है , मकान – वाहन आदि सुख सुविधाएँ प्राप्त करता है। जातक का माता से बहुत लगाव होता है ।




    कर्क लग्न – द्वितीय भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukra dwitiya bhav me :

    मधुर वाणी होती है । कुटुंब का सहयोग मिलता है । जातक अपनी वाणी , योग्यता से सभी रुकावटें दूर करने में सक्षम होता है । मकान – वाहन आदि सुख सुविधाएँ प्राप्त करने वाला होता है।

    कर्क लग्न – तृतीय भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukar tritiy bhav me :

    कन्या शुक्र की नीच राशि है । अतः कन्या राशि में आने पर जातक का छोटे – बड़े भाई बहन से समस्याएं उतपन्न होने का योग बनता है । पिता से मन मुटाव रहता है, धर्म को ना मानने वाला होता है , विदेश यात्रा से भी लाभ नहीं मिलता, सुख सुविधाओं ह्रास होता है और बहुत परिश्रम के बाद भी लाभ में कमी रहती है ।

    कर्क लग्न – चतुर्थ भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukr chaturth bhav me :

    शुक्र की महादशा – अंतर्दशा में सुख सुविधाओं के साधनो में बढ़ौतरी होती है । प्रोफेशनल लाइफ बहुत अच्छी रहती है । जातक का माता से विशेष लगाव होता है ।कहा जाता है की ऐसे जातक को सुख के साधनो की कभी कमी नहीं रहती है ।

    कर्क लग्न – पंचम भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukr pncham bhav me :

    जातक का दिमाग बहुत अच्छा होता है , निर्णय क्षमता बहुत बेहतर होती है , पेट अस्वस्थ रहता है , बड़े भाई बहनों से लाभ मिलता है , अचानक लाभ की संभावनाबनती है । कभी कभी जातक के एक से अधिक रिलेशन भी देखे गए हैं ।

    कर्क लग्न – षष्टम भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukr shashtm bhav me :

    प्रतियोगिता में जीत बहुत मेहनत के बाद ही मिलती है , कोर्ट केस होना , माता व् बड़े भाई बहन को कष्ट होना लगा रहता है । शुक्र की महादशा में कोई ना कोईखर्चा होता ही रहता है । विदेश सेटेलमेंट का योग बनता है ।

    कर्क लग्न – सप्तम भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukra saptam bhav me :

    पति / पत्नी सुंदर और बुद्धिमान मिलता है , सुख समृद्धि में बढ़ौतरी होती है । दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है । शुक्र की महादशा में साझेदारी में लाभ का योग बनता है।



    कर्क लग्न – अष्टम भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukra ashtam bhav me :

    हर काम में रुकावट , देरी होती है , धन की कमी रहती है , बीमारियां लग सकती हैं । माता – बड़े भाई को को कष्ट होता है , बुद्धि साथ नहीं देती , धन की हानिहोतई है कुटुंब और खुद का परिवार भी साथ नहीं दे पाता है।

    कर्क लग्न – नवम भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukra navam bhav me :

    जातक पितृ भक्त , आस्तिक , विदेश यात्रा करने वाला , छोटे भाई बहन का ध्यान रखने वाला , बड़े भाई बहन व् माता से स्नेह – सहायता प्राप्त करता है ।

    कर्क लग्न – दशम भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukr dasham bhav me :

    दसवें घर में आने से जातक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होता है , माता का सुख प्राप्त करता है। नौकरी / बिज़नेस में तरक्की होती है ।

    कर्क लग्न – एकादश भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukr ekaadash bhav me :

    बड़े भाई बहन से लाभ मिलता है , सभी इच्छाएं पूरी होती हैं । शुक्र महादशा में पुत्री प्राप्ति का योग बनता है । स्वास्थ्य अच्छा रहता है , सभी सुख सुविधाएं भोगता है।

    कर्क लग्न – द्वादश भाव में शुक्र – Karka Lagan – Shukra dwadash bhav me :

    जातक शैया सुख प्राप्त करने वाला , खर्चीला होता है । दिग्बली होने से ऐसे जातक को सभी सुख सुविधाएँ प्राप्त होती हैं । यहां स्थित शुक्र अपनी महादशा -अंतर्दशा में अधिकतर शुभ फल ही प्रदान करता है ।

    कृप्याध्यान दें …इस लग्न कुंडली में शुक्र रत्न हीरा धारण किया जा सकता है, यदि शुक्र ३ , ४ , ६ , ८ , १२वे भाव में स्थित न हो । कुंडली का उचित विश्लेषणआवश्य करवाएं तदुपरांत ही किसी उपाय को अपनाएँ । शुक्र के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए ।

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