मिथुन लग्न की कुंडली में राहु – mithun lagn kundali me rahu

मिथुन लग्न की कुंडली में राहु – Mithun Lagn Kundali me Rahu

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  • ज्योतिष विशेष, लग्न विचार
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  • राहु को शनि देव की छाया भी कहा जाता है । कुंडली में उचित प्रकार से स्थित राहु जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करने वाला, बलिष्ठ, विवेकी, विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतरपरिणाम अशुभ ही प्राप्त होते हैं । वृष और मिथुन राहु देवता की उच्च राशियां हैं और वृश्चिक व् धनु राहु की नीच राशियां मानी जाती हैं । राहु 5, 7, 9 दृष्टि से देखतेहैं । आज हम मिथुन लग्न की कुंडली के सभी भावों में राहु के परिणाम जानने का प्रयास करेंगे

    मिथुन लग्न – प्रथम भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu pratham bhav me :

    मिथुन राहु की उच्च राशि है । । यदि मिथुन राशि में लग्न में राहु हो तो अधिकतर परिणाम शुभ ही प्राप्त होंगे । राहु की महादशा में स्वास्थ्य अच्छा रहता है, पेटखराब नहीं रहता है, संतान प्राप्ति का योग बनता है , अचानक लाभ होता है । दाम्पत्य जीवन में खुशियां रहती है, साझेदारी के काम में लाभ होता है, पिता सेसंबंध मधुर रहते हैं , जातक आस्तिक , विदेश यात्राएं करने वाला होता है ।




    मिथुन लग्न – द्वितीय भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu dwitiya bhav me :

    कर्क राहु की शत्रु राशि है । ऐसे जातक का मन प्रसन्न नहीं रहता है , धन , परिवार कुटुंब का साथ नहीं मिलता है । जातक की वाणी खराब हो सकती है । प्रतियोगिता मे असफल होता है । रुकावटें दूर ही नहीं होती है । प्रोफेशनल लाइफ में असफलता मिलती है ।

    मिथुन लग्न – तृतीय भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu Teesare bhav me :

    सिंह भी राहु की शत्रु राशि होती है । छोटे – बड़े भाई बहनों से कलह रहती है । जातक का भाग्य उसका साथ नहीं देता है । पितृभक्त , धार्मिक प्रवृत्ति का नहीं होताहै। दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रहता है , साझेदारी के काम में लाभ नहीं मिलता है ।

    मिथुन लग्न – चतुर्थ भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu chaturth bhav me :

    चतुर्थ भाव में मित्र राशि कन्या में आने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है । रुकावटें दूर होती है । काम काज भी बेहतर स्थिति मेंहोता है । विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है ।

    मिथुन लग्न – पंचम भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu pncham bhav me :

    शुक्र की राशि तुला में राहु जातक को बहुत बुद्धिमान बनाते हैं । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । अचानक लाभ की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंधसंतोषजनक रहते हैं । जातक की याददाश्त बहुत अच्छी होती है और ऐसा जातक आस्तिक व् पितृ भक्त होता है । बुद्ध ठीक स्थित होने पर सभी परिणामसकारात्मक प्राप्त होते हैं अन्यथा परिणाम अशुभ जानने चाहियें ।

    मिथुन लग्न – षष्टम भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu shashtm bhav me :

    नीच राशि वृश्चिक में आने से और छठे भाव में स्थित होने से कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रोफेशनल लाइफ खराब होतीजाती है । वाणी खराब , परिवार का साथ नहीं मिलता है ।



    मिथुन लग्न – सप्तम भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu saptam bhav me :

    धनु राशि राहु की नीच राशि होती है । अतः यहां राहु से मिलने वाले परिणामों में अशुभता आ जाती है । जातक कुशाग्र बुद्धि, मेहनती, वाणी अच्छी बोलने वाला, छोटे – बड़े भाई बहनो और परिवार का साथ पाने वाला नहीं होता है । पत्नी और साझेदारों से संबंध खराब हो जाते हैं । बहुत मेहनत के बाद भी मनचाहे परिणाम मेंन्यूनता रहती है ।

    मिथुन लग्न – अष्टम भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu ashtam bhav me :

    यहां राहु के अष्टम भाव में स्थित होने से जातक के हर काम में रुकावट आती है । राहु की महादशा में टेंशन बनी रहती है । बुद्धि साथ नहीं देती है । पिता से संबंधखराब होते हैं, फिजूल खर्चा होता है, परिवार का साथ नहीं मिलता है । सुख सुविधाओं का अभाव रहता है । विदेश सेटलमेंट हो सकती है ।

    मिथुन लग्न – नवम भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu navam bhav me :

    जातक बुद्धिमान, धार्मिक, पितृ भक्त, उत्तम संतान युक्त होता है । मेहनत का फल अवश्य मिलता है। विदेश यात्रा करता है । शनि अशुभ स्थित हों तो परिणामअशुभ जानने चाहियें ।

    मिथुन लग्न – दशम भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu dasham bhav me :

    यहां मीन राशि में आने से जातक को भूमि , मकान , वाहन का सुख नहीं मिलता है । माता से मन मुटाव रहता है । काम काज बंद होने के कगार पे आ जाता है ।परिवार साथ नहीं देता है , प्रतियोगिता में हार का मुँह देखना पड़ता है ।

    मिथुन लग्न – एकादश भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu ekaadash bhav me :

    शत्रु राशि मेष में स्थित होने पर बड़े भाई बहनो से स्नेह नहीं रहता है । संतान प्राप्ति में विलम्ब आवश्य होता है, पेट खराब रहता है । राहु की महादशा में अचानकधन हानि की संभावना बनती है । पत्नी साझेदारों से लाभ प्राप्त नहीं होता , संबंध खराब हो जाते हैं ।

    मिथुन लग्न – द्वादश भाव में राहु – Mithun Lagan – Rahu dwadash bhav me :

    वृष राशि व् द्वादश भाव में स्थित होने से व्यय बढ़ता है , बीमारी लगने की संभावना रहती है । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है ।कम्पटीशन में असफलता हाथ लगती है, भूमि, मकान, वाहन का सुख नहीं मिलता है । माता के सुख में कमी आती है । विदेश यात्रा , सेटलमेंट का योग बनता है ।सभी कार्यों में रूकावट आती है और टेंशन-डिप्रेशन लगातार बना रहता है ।

    कृपया ध्यान दें : राहु के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । राहु के 3, 6, 8, 12 भाव में स्थित होने पर या शत्रु के घर में स्थित होने पर , नीचराशि वृश्चिक, धनु में स्थित होने पर गौमेध रत्न कदापि धारण न करें । राहु देवता के मित्र राशि में स्थित होने पर मित्र राशि के स्वामी की स्थिति देखना न भूलें औरराहु केतु से संबंधित रत्न किसी योग्य विद्वान की सलाह के बाद ही धारण करें ।

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