बुध ग्रह रहस्य वैदिक ज्योतिष – budh grah vedic astrology

बुध ग्रह रहस्य वैदिक ज्योतिष – Budh Grah Vedic Astrology

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • नवग्रह
  • 13280 views
  • वैदिक ज्योतिष में बुद्ध से कम्युनिकेशन, नेटवर्किंग, विचार शक्ति और विचारों की अभिव्यक्ति का विचार किया जाता है । इसे नव ग्रहों में राजकुमार की उपाधि से नवाजा गया है, और बुद्ध लग्न ( मिथुन , कन्या ) के जातक खुद को किसी राजकुमार की भांति ही समझते हैं । बुधवार सप्ताह का तीसरा दिन है, जिसका स्वामी बुध ग्रह है। यदि बुद्ध जन्मकुंडली के किसी अच्छे भाव में स्थित हो तो तो ऐसे जातक बुद्धिमान देखे गए हैं । ये काफी बातूनी भी होते हैं और अपनी बात को कहां, किस तरह रखना है जिससे उचित परिणाम सामने आएं जानते हैं । उसके विपरीत यदि बुद्ध छठे, आठवे या बारहवें भाव में स्थित हो अथवा अपनी नीच राशि मीन में स्थित हो जाये तो जातक चंचल स्वभाव का, अहंकारी, हर काम जल्दबाजी से करके हानि उठाने वाला व् कठोर स्वभाव का हो सकता है । ऐसे जातकों की निर्णय क्षमता भी क्षीण हो जाती है । यहां कुछ विद्वानों का मत है की बुद्ध किसी भी स्थिति में अपना प्राकृतिक स्वाभाव या महत्व यानि बुद्धिमत्ता नहीं छोड़ता है । बुध को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से ठीक पहले नग्न आंखो से देखा जा सकता है। सूर्य के बेहद निकट होने के कारण इसे सीधे देखना मुश्किल होता है। बुद्ध का सीधा सम्बन्ध बुद्धि से है, अतः किसी भी कार्य को किस प्रकार बुद्धिमत्तापूर्ण तरीके से प्रतिपादित किया जाये की क्षमता बुद्ध से देखि जा सकती है ।




    शनि ग्रह – राशि, भाव और विशेषताएं – Shani Grah Rashi – Bhav characteristics :

    बुद्धि के देवता बुद्ध मिथुन व् कन्या राशि के स्वामी होते हैं । मिथुन राशि के मूल त्रिकोण में तुला व् कुम्भ राशि है । वहीँ कन्या राशि की मूल त्रिकोण राशियां मकर व् वृष है । कन्या राशि में बुद्ध उच्च व् मीन में नीच के हो जाते हैं । बुद्ध के इष्ट देव भगवान विष्णु हैं । अश्लेषा, ज्येष्ठ, रेवती इसके नक्षत्र हैं । महादशा समय 17 वर्ष , रत्न पन्ना , दिशा उत्तर पश्चिम , धातु कांस्य – पीतल , मूल त्रिकोण राशि कन्या व् व्यापार के कारक बुद्ध का मूल मंत्र ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: है ।

    • राशि स्वामित्व : मिथुन व् कन्या
    • दिशा : उत्तर
    • दिन : बुधवार
    • तत्व: पृथ्वी
    • उच्च राशि : कन्या राशि
    • नीच राशि : मीन
    • दृष्टि अपने भाव से: 7
    • लिंग: तटस्थ
    • नक्षत्र स्वामी : अश्लेषा , ज्येष्ठ , रेवती
    • शुभ रत्न : पन्ना
    • महादशा समय : 17 वर्ष
    • मंत्र: ऊँ बुं बुधाय नम:
    • बुध ग्रह शुभ फल – प्रभाव कुंडली – Budh Shubh Fal – Mercury Planet

      किसी भी गृह के शुभ अशुभ फल उस गृह विशेष के सम्बन्ध में पूर्णतया जानकार निर्धारित किये जाते हैं , जिसके लिए कुंडली का विस्तृत विश्लेषण आवशयक हो जाता है । कुंडली विश्लेषण में ये जानना की गृह विशेष कारक है या मारक है, कितनी डिग्री का है व् किस भाव में स्थित है आदि देखना अति आवश्यक हो जाता है । इसके बाद ही हम किसी निष्कर्ष पर पहुंच आते हैं की गृह विशेष जातक को शुभ फल प्रदान करने वाला है या अशुभ । इसी प्रकार बुद्ध के शुभाशुभ फल जानने के लिए हमें देखना होगा की बुद्ध लग्न कुंडली का कारक गृह बनता है या मारक, यह लग्न कुंडली के किसी शुभ भाव में स्थित है या कुंडली के तीन, छह, आठ अथवा बारहवें भाव स्थित है। यदि बुद्ध कुंडली का एक कारक गृह है और कुंडली के शुभ भाव में स्थित है केवल तभी अपनी दशा , अंतर्दशा में शुभ फल प्रदान करेगा ।

      बुध ग्रह अशुभ फल – प्रभाव कुंडली – Budh Ashubh Fal – Mercury Planet

      यदि बुद्ध कुंडली के छह , आठ अथवा बारहवें भाव में स्थित हो जाये तो परिणाम उतने शुभ नहीं जानने चाहियें । हाँ यदि लग्नेश बलि हो और बुद्ध छह , आठ अथवा बारहवें भाव में से किसी का स्वामी होकर छह , आठ अथवा बारहवें भाव में ही कहीं स्थित भी हो जाये तो यहां विपरीत राजयोग का निर्माण होता है जो विपरीत परिस्थितियों में भी उचित फल प्राप्त करवाने के लिए जाना जाता है ।



      बुद्ध शान्ति के उपाय – रत्न – Budh grah upay stone

      यदि बुद्ध जन्मकुंडली में एक कारक गृह है और कमजोर होकर तीन, छह, आठ भावों अथवा नीच राशि में न पड़ा हो तो पन्ना रत्न धारण किया जा सकता है । यह शुक्लपक्ष के बुधवार को सबसे छोटी ऊँगली में धारण किया जाता है । सवा तीन रत्ती से ऊपर के सभी रत्न काम करते हैं । कुछ ज्योतिष विद्वान मानते हैं की रत्न जातक के वजन से स्वा रत्ती अधिक होना चाहिए । जैसे यदि जातक का वजन 70 किलो ग्राम है तो उसे सवा आठ रत्ती का रत्न धारण करना चाहिए ।
      हरी वस्तुओं …हरी सब्जी , कपडे व् पन्ना का दान करने से बुद्ध के बुरे प्रभाव को शांत किया जा सकता है । ऐसा केवल तभी करें यदि मारक हो या नीच राशि में पड़ा हो । कारक गृह से सम्बंधित दान किसी भी सूरत में ना करने की सलाह दी जाती है ।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Popular Post