मकर लग्न की कुंडली में पंचमहापुरुष योग – panchmahapurush yoga consideration in capricorn/makar

मकर लग्न की कुंडली में पंचमहापुरुष योग – Panchmahapurush yoga Consideration in Capricorn/Makar

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  • पंचमहापुरुष योग (Panchmahapurush yoga) मंगल, बुद्ध, गुरु, शनि व् शुक्र पांच ग्रहों में से किसी एक गृह के बलाबल के साथ केंद्र में स्वराशिस्थ अथवा उच्चराशिस्थ होने पर बनता है । सूर्य, चंद्र, राहु व् केतु पंचमहापुरुष योग नहीं बनाते । योगो की इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज हम जानेंगे मकर लग्न की कुंडली में किन किन स्थितियों में बनता है पंचमहापुरुष योग और क्या हो सकते हैं इस योग के संभावित लाभ……




    मकर लग्न की कुंडली में पंचमहापुरुष योग Panchmahapurush yoga in Capricorn/Makar lgna kundli :

    शश योग Sasa yoga :

    मकर लग्न की कुंडली में लग्नेश शनि के लग्न में ही स्थित हो जाने पर शश नाम का पंचमहापुरुष योग बनता है । ऐसा जातक न्यायप्रिय होता है । यदि शनि की महादशा बीस, इक्कीस वर्ष के बाद शुरू हो तो बहुत संभावना है की जातक जुडिशल मजिस्ट्रेट बने । ऐसे जातक शनि देव की ही तरह के होते हैं और किसी भी परिस्थिति में सच को सच बोलने में नहीं घबराते । ऐसा जातक बहुत मेहनती होता है, वैवाहिक जीवन सुखी रहता है । ऐसा जातक शनिदेव से सम्बंधित बिज़नेस करे तो खूब तरक्की करता है । यदि साझेदारी में व्यापार करे तो साझेदारों से भी लाभ प्राप्त करता है । जिसकी भी कुंडली में ऐसा योग हो वह व्यक्ति बहुत बड़ा ठेकेदार अथवा न्यायधीश हो सकता है ।

    रूचक योग Roochak yoga :

    मकर लग्न की कुंडली में सम गृह मंगल यदि चौथे घर में अपनी ही राशि में स्थित हों तो रूचक योग बनता है । यह भी पंचमहापुरुष योगों में से एक होता है । ऐसा जातक मात्र भक्त होता है । इसे माता का सुख तो मिलता है साथ ही यह मकान, वाहन, प्रॉपर्टी के सुख भी प्राप्त करता है ।

    चौथी दृष्टि से सातवें भाव को देखता है तो पत्नी व् पार्टनर्स भी साथ देने वाले होते हैं । दैनिक आय में बढ़ौतरी होती हे । यदि फेवरेबल गृह की महादशा नहीं भी चल रही हो तो भी ऐसा जातक आसानी से घबराने वाला नहीं होता । कड़ी मेहनत से भी परिस्थिति अनुकूल कर लेता है । मंगल आठवीं दृष्टि से ग्यारहवें भाव को देखते हैं तो बड़े भाई बहन का भी भरपूर साथ जातक को प्राप्त होता है ।



    यदि मंगल लग्न में ही अपनी उच्च राशि मकर में स्थित हों तो भी रूचक योग बनता है और जातक को पहले, चौथे, सातवें और आठवें भाव सम्बन्धी सभी लाभ प्राप्त होते हैं । ऐसा जातक आसानी से मुश्किलों से नहीं घबराता और अपनी सूझ बूझ व् बाहुबल का प्रयोग कर मुश्किलों से निजात पाता है । मंगल की महादशा अन्तर्दशा में जातक भूमि, मकान, वाहन व् प्रॉपर्टी सम्बन्धी लाभ प्राप्त अवश्य प्राप्त करता है ।

    मालव्य योग Malvy yog :

    यदि दशम भाव में शुक्र स्वग्रही हो जाएँ तो मालव्य नाम का पंचमहापुरुष योग अवश्य बनता है । जातक विलासिता की वस्तुओं का व्यापारी हो सकता है । क्रिएटिव होता है । फिल्म जगत में काम करने वाला हो सकता है । जातक की पर्सनालिटी बहुत अच्छी होती है, कलात्मक रुझान होता है । क्यूंकि प्रोफेशनल हाउस होता है और शुक्र मालव्य नाम का पंचमहापुरुष योग बनाकर बैठे हैं तो जातक को काम की कमी कभी नहीं रहती है । शुक्र की महादशा में जातक का मकान भी बनता है और उसे वाहन सम्बन्धी सुख भी प्राप्त होते हैं । जातक मात्र भक्त होता है और जातक की माता जी हमेशा उसका साथ देती है ।

    ध्यान देने योग्य है की पंचमहापुरुष योग बनाने वाला गृह यदि अस्त हो जाए अथवा बलाबल में कमजोर हो तो उपर्लिखित परिणाम प्राप्त नहीं होते । पंचमहापुरुष योग बनाने वाले गृह का बल जिस अनुपात में होता है फल भी उसी अनुपात में प्राप्त होते हैं ।

    आशा है की आज का विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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