केतु देवता के जन्म की कहानी, ketu devta ke janam ki kahani

केतु देवता के जन्म की कहानी, ketu Devta Ke Janam Ki Kahani

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  • केतु की कहानी ketu Devta Ke Janam Ki Kahani :

    जय माँ सरस्वती ….सभी पाठकों ने केतु की कथा अवश्य ही पढ़ी या सुनी होगी । जब मोहनी रूप में विष्णु भगवान् देवताओं को अमृत पान करवा रहे थे उस समय स्वर्भानु नाम का एक राक्षस देवता जैसा भेस धारणकर उनमे बैठ जाता है और विष्णु उसे भी अमृतपान करवाने लगते हैं । उसी समय सूर्य एवं चन्द्रमा इस राक्षस को पहचान लेते हैं और विष्णु को इस तथ्य से अवगत करवाते हैं । विष्णु जी उसी वख्त सुदर्शन चक्र से उसका गला काट देते हैं , परन्तु अमृत की कुछ बूँदें ग्रहण हो जाने से स्वर्भानु का सर व् धड़ दोनों जीवित रहते हैं । अब ब्रह्मा जी सर के साथ सांप का धड़ और धड़ के साथ सांप का सर जोड़ देते हैं । तत्पश्चात स्वर्भानु के सर वाले भाग को राहु व् धड़ वाले भाग को केतु कहा जाने लगा । करीब करीब सभी ज्योतिषी अपने अपने सामर्थ्य व् तर्कशक्ति से इस कहानी को डिकोड करते हैं और इनसे राहु केतु के सम्बन्ध में विचार करते हैं । आइये जानने का प्रयास करते हैं की क्या हो सकता है इस कहानी का अर्थ ….




    बिना सर का धड़ केतु :

    अश्विनी, मघा एवं मूल नक्षत्र के स्वामी केतु को एक मोक्षकारक ग्रह कहा जाता है । इन्हें मंगल जैसे प्रभाव देने वाले गृह के रूप में भी जाना जाता है । वृश्चिक या धनु राशि में होने पर जातक को भौतिक व् आध्यात्मिक दोनों प्रकार से उन्नत करता है , वहीं मान्यता है की साधारण से मनुष्य को भी देवतुल्य बना दे ! ऐसी क्षमता का स्वामी है केतु । यदि आप केतु की आकृति को ध्यान से देखें तो ज्ञात होता है की इनके पास पांच इन्द्रियाँ नहीं हैं । इनके पास तो केवक धड़ है । शायद यही कारण है की राहु को तीव्र इच्छा प्रकट करने वाला गृह कहा जाता है क्यूंकि सर पर राहु का आधिपत्य है । केतु के पास क्या है ? क्या कर सकता है केतु ?



    केतु की पास कुण्डलिनी है :

    केतु के पास कुंडलिनी है । इसीलिए केतु को मोक्षकारक गृह कहा गया है । कहते हैं की यदि आपको आध्यात्मिक मार्ग पर जाना हो तो पाँचों इन्द्रियों समेत मन व् बुद्धि के पार होना होगा और यह रास्ता कुंडलिनी जागरण से होकर गुजरता है । इसके लिए उचित मार्गदर्शन व् गहन साधना की आवश्यकता होती है । तो यदि आपकी या आपके किसी मित्र या ऐसे किसी जानकार की केतु की महादशा चल रही है जिनसे आप प्रेम करते हैं और वह कष्ट भोग रहा है तो घबराएं नहीं । यह समय आपको जीवन की ऐसी सीख देकर जाएगा जो जीवनभर आपके लिए उपयोगी साबित होगी । आपके पिछले जन्मों के कुछ लेन देन हैं जो पूरे होने हैं और रुकी हुई साधना के आगे बढ़ने का समय आया है । विचलित ना हों । अपने इष्ट पर भरोसा रख्खें । किसी के साथ चीटिंग न करें । कहना आसान है लेकिन मेरा खुद का यह मानना है की धोखा खा लेने से कुछ नहीं बिगड़ता , धोखा देने से कई जन्म खराब हो जाते हैं । इसलिए साधनारत रहें , किसी के भी साथ बेईमानी न करें । गलत तरीके से पैसा तो आ जाएगा लेकिन बहुत सी ऐसी चीजें भी साथ लाएगा की आपके इष्ट भी आपके साथ खड़े ना रह सकेंगे । यदि आपकी कुंडली में केतु शुभ स्थित हैं तो निसंदेह आपको भौतिक व् आध्यात्मिक दोनों प्रकार की उन्नति प्राप्त हो सकती है । आवशयकता है तो बस ईमानदारी से रहने की । प्रार्थना है की आप सभी सन्मार्ग से न डिगें और आपके ईष्ट का आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहे । जय माँ दुर्गा ।

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