कैसे बढ़ाएं ग्रहों की शक्ति – kaise badhaye graho ki shakti

कैसे बढ़ाएं ग्रहों की शक्ति – Kaise Badhaye Graho Ki Shakti

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  • ॐ श्री गणेशाय नमः… भारत में ज्योतिष विज्ञान एक पूर्ण विकसित विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठित है। करीब आठ सौ साल की दासता के बाद भी ज्योतिष की चमक कतई फीकी नहीं पड़ी, वरन इस देव विधा को पश्चिम के विष्वविधालयों में भी ससम्मान स्वीकार किया गया है। आज सैकड़ों विद्यार्थी इस विषय पर अनुसंधान कर रहे हैं, अध्ययनरत हैं।

    आज हम ग्रहों के प्राणी मात्र पर पड़ने वाले प्रभावों को किस प्रकार बढ़ाया या काम किया जा सकता है पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा करेंगे। आशा है की प्रस्तुत जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित हो और आपके साथ साथ प्राणी मात्र को इसका लाभ प्राप्त हो।

    ग्रहों की शक्ति बढ़ाने के स्रोत – Graho Ki Shakti Badhane Ke Srot




    रत्नो के सहयोह से बढाई जा सकती है ग्रहों की शक्ति – Ratan Se Badhaye Graho Ki Shakti

    निसंदेह सही रत्नो के उपयोग से किसी भी गृह की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। अतः ग्रहो से सम्बंधित कोई भी उपाय करने से पूर्व आपको सर्वप्रथम आपको कुंडली का विश्लेषण करना या करवाना होता है जिससे की आप भली भांति ये सुनिश्चित कर लें की आपकी जन्मकुंडली में कौन कौन से गृह ऐसे हैं जो आपके पक्ष में हैं, भले ही वे बलाबल में कमजोर हों। ध्यान रखें की बहुत सी बहुत सी कुंडलियों में मारक गृह भी सकारात्मक परिणाम देने वाले हो सकते हैं परन्तु उनसे सम्बंधित रत्न कभी धारण नहीं किया जाता है। बहरहाल आपको मुख्यतया देखना ये है की कौन से गृह आपकी कुंडली में कारक अथवा सम गृह हैं और साथ ही साथ किस राशि में कौन से घर में स्थित हैं। यदि कारक या सम गृह कुंडली के शुभ स्थान में स्थित हैं और बलाबल में कमजोर हैं तो इन ग्रहों से सम्बंधित रत्न धारण किया जा सकता है। सम गृह से सम्बंधित रत्न को धारण करने से पूर्व ध्यानपूर्वक कुंडली का विश्लेषण कर लें। हो सकता है की सम गृह से सम्बंधित रत्न एक समय विशेष के लिए ही धारण करना हो। यदि ऐसा हो तो समय विशेष पूर्ण हने पर सम गृह से सम्बंधित रत्न को उतार देना चाहिए। मारक गृह से सम्बंधित रत्न किसी भी सूरत में धारण न करें भले ही वह विपरीत राजयोग की शर्त को भली प्रकार पूर्ण करता हो। यह नियम विरुद्ध है क्यूंकि मारक गृह का रत्न धारण करने से मारक गृह से सम्बंधित कारकत्व में भी वृद्धि हो जाती है जो आपके लिए निसंदेह बहुत हानिकारक साबित होगी। रत्न का कार्य है गृह विशेष से सम्बंधित किरणों को आकर्षित करना, वह नहीं जानता की गृह विशेष जातक के लिए लाभ पहुँचाने वाला है या हानि। एक और विशेष ध्यान देने योग्य बात है की कारक गृह यदि ६, ८, १२ भाव में भी अस्त हो तो इससे सम्बंधित रत्न धारण किया जा सकता है।

    दान से कम की जा सकती है ग्रहों की शक्ति – Daan Karne Se Badhaye

    ज्योतिष में दान का विशेष स्थान है। दान आपके शरीर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को कम करने के लिए है। कुंडली के मारक अथवा सम ग्रह के अशुभ स्थित होने पर उस गृह विशेष से सम्बंधित नकारात्मक किरणे मानव शरीर अपना दुष्प्रभाव छोड़ती हैं। ज्योतिष में इनसे बचने के लिए अथवा इनका प्रभाव कम करने के लिए दान का विधान है। कुंडली विश्लेषण के पश्चात् जब आप पाते हैं की किस गृह विशेष की किरणों का प्रभाव नेगेटिव है उससे सम्बंधित रंग के अन्न, वस्त्र अथवा रत्न आदि का दान कर गृह विशेष की नकारात्मक ऊर्जा को कम किया जा सकता है। ध्यान दें की गृह के प्रभाव को केवल कम किया जा सकता है समाप्त नहीं किया जा सकता है। कर्मों का फल भोगना आवश्य पडेगा। यूँ तो उपाय से मृत्यु तक टालने के प्रमाण हैं लेकिन वे अपवाद हैं। प्रकृति यूँ ही किसी को जीवनदान नहीं देती।



    मंत्र साधना से प्राप्त की जाती है कृपा:

    मन्त्र साधना से किसी भी गृह से सम्बंधित कृपा प्राप्त की जा सकती है। यदि गृह शुभ स्थित हों तो उनकी शक्ति को और बढ़ाया जासकता है और यदि अशुभ हों तो कम किया जा सकता है। मन्त्र साधना में गृह विशेष से सम्बंधित देवता की आराधना की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है जिससे की जातक सुख पूर्वक अपना जीवन यापन कर सके। यह साधना जातक को स्वयं करनी होती है। किसी योग्य विद्वान से सलाह लें और स्वयं साधना करें। मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक है। सर्वविदित है की मार्कण्डेय ऋषि ने मन्त्र साधना व् भक्ति के बल से अपनी मृत्यु को भी टाल दिया था। अतः मन्त्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है।

    जल प्रवाह से शांत किया जाता है क्रूर गृह के प्रभाव को – Jal Pravah Se Kare Shaant

    क्रोध को शांत करने का सबसे प्रचलित व् कारगर उपाय है जल। गर्म लोहे को भी जल में डाल दिया जाए तो वह ठंडा हो जाता है। अतः समझना आसान है की कुंडली के क्रूर गृह को शांत करने हेतु उस गृह विशेष से सम्वबन्धित सामग्री का जल प्रवाह किया जाता है। इस प्रयोग से अति क्रूर गृह को भी शांत होना ही पड़ता है, जातक कुछ सोच विचार की स्थिति में आ जाता है और कुछ न कुछ बेहतर कर पाता है। कुंडली के कारक या मारक गृह यदि शुभ स्थिति में हों तो इनसे सम्बंधित दान, जल प्रवाह कतई ना करें। प्रार्थना है की प्रस्तुत जानकारी आपके लिए लाभदायक साबित हो। सभी का मंगल हो।

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