धनु लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – budhaditya yoga consideration in sagittarius/dhanu

धनु लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Sagittarius/Dhanu

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  • धनु लग्न की जन्मपत्री में सूर्य भाग्येश व् बुध सप्तमेश, दशमेश होते हैं । अतः बुद्ध सम व् सूर्य एक योगकारक गृह हैं । इस वजह से दोनों ही गृह अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान करते हैं । शुभाशुभ फल प्रदान करने के लिए दोनों ग्रहों का बलाबल में सुदृढ़ होना बहुत आवश्यक है । यदि गृह कमजोर हों, अशुभ भाव में स्थित हों या बुद्ध अस्त हो जाएँ ( जो अधिकतर जन्मपत्रियों में होता है ) तो शुभ परिणाम प्राप्त नहीं होते । धनु लग्न की जन्मपत्री में बुधादित्य योग अवश्य बनता है ।




    धनु लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in first house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    प्रथम भाव में सूर्य बुद्ध की युति से जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, व्यापार में तरक्की होती है, पार्टनर्स से शुभ फल प्राप्त होते हैं । भाग्य जातक का पूर्ण साथ देता है । बुद्धादित्य योग अवश्य बनता है

    धनु लग्न की कुंडली द्वितीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in second house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    यही युति दुसरे भाव में होने पर भी बुद्धादित्य योग अवश्य बनता है । भाग्य जातक का साथ देता है , परिवार में धन का आगमन होता है, बाधाएं दूर होती हैं ।

    धनु लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in third house in Sagittarius/Dhanu kundli :

    तृतीय भाव में सूर्य बुद्ध की युति जातक की मेहनत में वृद्धि कर देते हैं । जातक का काम बहुत भाग दौड़ से जुड़ा होता है, पिता से लगाव रहता है, विदेश यात्राएं भी होती रहती हैं । विदेश यात्राओं से भी लाभ होता है । बुधादित्य योग नहीं बनता ।

    धनु लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in fourth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    क्यूंकि बुद्ध नीच राशि में आ जाते हैं इसलिए बुद्ध की दशाओं में मकान, वाहन व् भूमि सम्बन्धी परेशानियां बढ़ती हैं । जातक का माता से भी मन मुटाव होता है, राज्य पक्ष से हानि के योग बनते हैं । वहीँ सूर्य की अपनी दशाओं में घर परिवार सम्बन्धी सुख प्रदान करते हैं, व्यापार, नौकरी में उन्नतिदायक होते हैं, राज्य से लाभ प्रदान कराने वाले कहे जाते हैं । बुद्धादित्य योग नहीं बनता है ।

    धनु लग्न की कुंडली में पंचम भाव में बुद्धादित्य योग Budhadityai yoga in fifth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    सूर्यबुद्ध की युति प्रेम संबंधों में सफलतादायक होती है । अचानक लाभ की सम्भावना भी रहती है । सूर्य की दशाओं में पुत्र व् बुद्ध की दशाओं में पुत्री प्राप्ति के योग बनते हैं । भाग्य का साथ मिलता है उन्नति होती है । बुद्धादित्य योग बनता है ।

    धनु लग्न की कुंडली में छठे भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in sixth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    त्रिक भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में धन का व्यय होता है । नौकरी, व्यापार में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं । भाग्य का साथ नहीं मिलता ।

    धनु लग्न की कुंडली में सातवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in seventh house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    सप्तम भाव में सूर्य बुद्ध की युति से पार्टनर्स से लाभ के चान्सेस बढ़ जाते है । व्यापार से लाभ होता है, स्वास्थ्य उत्तम रहता है । इस भाव में भी बुद्धादित्य योग अवश्य बनता है ।



    धनु लग्न की कुंडली में आठवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eighth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता । सूर्यबुद्ध की दशाओं में पिता का स्वास्थ्य खराब रहता है, काम काज की स्थिति दिन बदिन बत्तर होती चली जाती है ।

    धनु लग्न की कुंडली में नौवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in ninth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    नौवें भाव में सूर्यबुद्ध की दशाओं में यात्राओं से धन लाभ होता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में विदेश यात्राओं के योग बनते हैं । दोनों ग्रहों की दशाओं में जातक का भाग्य उसका साथ देता है । जातक धार्मिक व् पितृ भक्त भी होता है । बुधादित्य योग बनता है ।

    धनु लग्न की कुंडली में दसवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in tenth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    दसवें भाव में अपनी ही राशि में स्थित बुद्ध की दशाओं में जातक उन्नति करता है । परिवार में शुभ होता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में राज्य से लाभ, माता से संबंधों में मधुरता रहती है, मकान, वाहन, भूमि से लाभ की संभावनाएं प्रबल होती है ।

    धनु लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eleventh house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    यहाँ बुद्ध के स्थित होने पर भाग्य पूरा साथ देता है, नौकरी, व्यापार में लाभ होता है । पुत्री प्राप्ति का योग भी बनता है । पंचम व् एकादश से रिलेटेड सभी लाभ प्राप्त होते हैं । प्रेम संबंधों में भी सफलता के योग बनते हैं । वहीँ सूर्य की दशाओं में संतान पक्ष से परेशानी, प्रेम संबंधों में असफलता, अचानक हानि होती है और जातक भी कुछ अस्वस्थ रहता है । बड़े भाई बहन से अनबन रहती है, बुद्ध आदित्य योग नहीं बनता ।

    धनु लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in twelth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

    त्रिक भावों में से किसी भी भाव में यह योग नहीं बनता । जातक के स्वास्थ्य में परेशानी व् कोर्ट केस सम्बन्धी परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं । सूर्य की दशाओं में भी जातक के अस्वस्थ रहने के योग बनते हैं, हॉस्पिटल में खर्चा होता है ।

    ध्यान दें राशियां, दृष्टियां भी ग्रहों व् योगों पर अपना प्रभाव रखती हैं । उन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए । बुद्ध के अस्त होने के चान्सेस बहुत अधिक होते हैं । यदि बुध अस्त अवस्था में हो तो किसी भी सूरत में यह योग बना हुआ नहीं समझना चाहिए ।

    आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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