सुंदरता के प्रतीक शुक्र देवता को ऐशो आराम, शैया सुख, कामुकता, चमक, इत्र आदि सभी प्रकार की सुख समृद्धि व् साधनो का कारक माना जाता है । शुक्र वृष एवं तुला राशि का स्वामी है । मीन राशि शुक्र की उच्च व् कन्या नीच राशि है । इसकी महादशा सभी ग्रहों में सबसे अधिक 20 … Continue reading
सूर्य पुत्र शनि देव वैदिक ज्योतिष में कर्मफलदाता के रूप में प्रतिष्ठित हैं । ऐसी मान्यता है की शनि देव सभी भूजीविओं व् देवताओं तक के कर्मों का अच्छा बुरा फलसमय आने पर प्रदान करते हैं । न्याय के देवता शनि को संन्यास व्का ज्ञान कारक भी कहा जाता है । कुंडली में शुभ स्थित … Continue reading
चन्द्रमा माता व् मन का प्रतिनिधित्व करता है! पूर्णिमा के दिन चंद्र का प्रभाव पृथ्वी व् पृथ्वी वासिओं पर अधिक रहता है । चन्द्रमा के प्रभाव से ही समंदर में ज्वार भाटा आता है । हमारे शरीर में मौजूद जल पर चंद्र का पूर्ण प्रभाव रहता है , यदि जल दूषित हो जाये तो आप … Continue reading
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आध्यात्मिकता के कारक केतु देवता एक छाया गृह हैं और स्वभाव से मंगल की भांति ही एक क्रूर ग्रह के रूप में जाने जाते हैं । शरीर में अग्नितत्व है केतु । शक्ति ऐसी की साधारण से मनुष्य को भी देव तुल्य बना दें । इन्हें अनिश्चितता देने वाला गृह भी … Continue reading
ॐ राहवे नमः। अनिश्चितता के कारक राहु की प्रवृत्ति को समझना मुश्किल ही नहीं करीब करीब नामुनकिन है । इच्छाओं को अभियक्त करने वाले राहु चौंकाने वाले परिणाम देते देखे गए हैं । अमूमन इन्हें एक पापी क्रूर छाया ग्रह की तरह देखा जाता है लेकिन यह तथ्य पूर्णतया सत्य नहीं हैं । कुंडली में … Continue reading
मंगल गृह को वैदिक ज्योतिष में देवताओं का सेनापति कहा गया है । मंगल स्वभाव से क्रूर किन्तु एक देव ग्रह है । पराक्रम के प्रतीक मंगल सभी बाधाओं को दूर करने वाले व् सुख समृद्धि प्रदान करनेवाले कहे गए हैं । अष्टसिद्धि नव निधि के दाता मंगल मेष व् वृश्चिक राशि के स्वामी है … Continue reading
वैदिक ज्योतिष में बुद्ध से कम्युनिकेशन, नेटवर्किंग, विचार शक्ति और विचारों की अभिव्यक्ति का विचार किया जाता है । इसे नव ग्रहों में राजकुमार की उपाधि से नवाजा गया है, और बुद्ध लग्न ( मिथुन , कन्या ) के जातक खुद को किसी राजकुमार की भांति ही समझते हैं । बुधवार सप्ताह का तीसरा दिन … Continue reading
हिंदू मान्यताओं में सूर्य को विशेष रूप से भगवान का दृश्य रूप कहा गया है! उन्हें सत्व गुण का माना जाता है और वे आत्मा, राजा, प्रतिष्ठा, ऊंचे व्यक्तियों या पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य मेष राशि में उच्च व् तुला में नीच के होते हैं । सिंह लग्न के प्रभाव में पैदा हुए … Continue reading