ज्योतिष योग

कर्क लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Cancer/Kark

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  • कर्क लग्न की कुंडली में गुरु छठे और नवें भाव के मालिक होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग, किस गृह की की जायेगी शांति…. कर्क लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga … Continue reading

    मिथुन लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Gemini/Mithun

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  • मिथुन लग्न की कुंडली में गुरु सातवें और दसवें भाव के मालिक होकर एक सम गृह बनते हैं । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग बनता है, किस गृह की की जायेगी शांति…. मिथुन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग … Continue reading

    वृष लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Taurus/Vrish

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  • वृष लग्न की कुंडली में गुरु आठवें और ग्यारहवें भाव के मालिक होकर एक अकारक गृह बनते हैं । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग बनता है, किस गृह की की जायेगी शांति…. वृष लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग … Continue reading

    मेष लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Aries/Mesh

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  • ज्योतिष एक सम्पूर्ण विज्ञान है, पूर्णतया तर्कसंगत है । इस पूर्ण विकसित विज्ञान में किसी भी बात को यूँ ही मान लेने के लिए कोई जगह नहीं है । यदि कोई योग किसी स्थिति में अनिष्टकारक होता है तो कहीं वह योग ही जातक को बहुत उन्नति प्रदान करने में भी पूर्ण सक्षम है । … Continue reading

    मीन लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Pisces/Meen

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  • मीन लग्न की जन्मपत्री में गुरु लग्नेश, दशमेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं वहीँ चंद्र त्रिकोण के स्वामी हैं, पंचमेश हैं । एक योगकारक गृह हैं, शुभ फलप्रदायक हैं । दोनों ग्रहों की किसी शुभ भाव में युति से गजकेसरी योग अवश्य बनता है । ध्यान देने योग्य है की चंद्र गुरु में से … Continue reading

    कुम्भ लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Aquarius/Kumbh

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  • कुम्भ लग्न की जन्मपत्री में चंद्र षष्ठेश ( रोगेश ) होने के साथ साथ लग्नेश शनि के शत्रु भी हैं, एक अकारक गृह गिने जाएंगे । साथ ही गुरु द्वितीयेश, एकादशेश हैं, दो शुभ स्थानों के स्वामी होने की वजह से एक योगकारक गृह बनेंगे । जहाँ गुरु अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान करते … Continue reading

    मकर लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Capricorn/Makar

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  • मकर लग्न की जन्मपत्री में चंद्र सप्तमेश होने के साथ साथ लग्नेश शनि के शत्रु भी हैं, एक अकारक गृह गिने जाते हैं । गुरु तृतीयेश, द्वादशेश होकर अकारक गृह बनते हैं । यदि गुरु विपरीत राजयोग बना लें तो छह, आठ या बारहवें भाव में स्थित होकर शुभफलदायक होते हैं, अन्यथा दोनों गृह अपनी … Continue reading

    धनु लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Sagittarius/Dhanu

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  • गुरु व् चंद्र के योगकारक होकर शुभ भाव में स्थित होने से बनता है गजकेसरी योग । गजकेसरी योग की निर्मिति के लिए चंद्र और गुरु दोनों का योगकारक होना, और किसी शुभ भाव में युति बनाकर स्थित होना आवश्यक होता है । दोनों ही ग्रहों में जितना बल होता है उसी के अनुरूप यह … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

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  • गजकेसरी योग का निर्माण गुरुचंद्र के योगकारक होकर किसी शुभ भाव में स्थित होने पर होता है । आसान भाषा में गजकेसरी योग की निर्मिति के लिए चंद्र और गुरु दोनों का योगकारक होना, और किसी शुभ भाव में युति बनाकर स्थित होना आवश्यक होता है । दोनों ही ग्रहों में जितना बल होता है … Continue reading

    तुला लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Libra/Tula

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  • यदि गुरुचंद्र जन्मपत्री के योगकारक हों और किसी शुभ भाव में स्थित भी हो जाएँ तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है । तुला लग्न की जन्मपत्री में चंद्र दशमेश होकर एक सम गृह बनते हैं । वहीँ गुरु तृतीयेश, षष्ठेश होकर एक अकारक गृह बने । शुभ स्थित होने पर चंद्र की दशाओं में … Continue reading

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