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शबरी के राम – Shabri Aur Shri Ram Katha Hindi

हिन्दू मैथोलॉजी (Hindu Mythology) में आदिवासी शबरी को एक कोमल ह्रदय भक्त के रूप में जाना जाता है, जिनके झूठे बेर स्वयं श्री राम (Shri Ram) ने बड़े ही प्रेम से खाये थे। राम भक्त शबरी (Ram Bhakat Shabri) एक आदिवासी भील की पुत्री थी। इन आदिवासियों की एक प्रथा के अनुसार किसी भी शुभ कार्य से पूर्व निरीह जानवरों की बलि दी जाती थी। जब शबरी के पिता ने शबरी का विवाह निश्चित किया तो उन्हें उन जानवरों की चिंता सताने लगी। जब जब उसे ख्याल आता की कुछ ही दिनों में इन निरीह जानवरों की बलि दी जाएगी उसका मन व्यथित हो उठता। शबरी के मन में विचार हुआ की यदि वो घर से भाग जाए तो निरीह पशुओं की जान बच जायेगी, हालाँकि उसे मालूम था की यदि उसने अपने मन की सुनी तो फिर कभी अपने कबीले में वापिस स्वीकार नहीं की जाएगी, फिर भी कोमल हृदय शबरी ने पशुओं को बचाने का निर्णय लिया और एक घने वन में जा पहुंची।

शबरी की कथा – शबरी कौन थी – Shabri Ramayan Katha



ऋषि मातंगी हुए शबरी की भक्ति से प्रसन्न, दिया मोक्ष का आशीर्वाद – Shabri Prasang in Hindi

शबरी (Sabri) ने ज्ञान प्राप्ति के उद्देश्य से बहुत से गुरुओं के आश्रम में प्रवेश के लिए प्रार्थना की। चूंकि वो किसी ऊंचे कुल की नहीं थी, सो उसे सभी ने आश्रम में प्रवेश देने से इंकार कर दिया। भटकते भटकते जब वो ऋषि मातंगी के आश्रम में पहुंची तो ऋषि ने उनकी ज्ञान प्राप्ति की इच्छा का सम्मान किया और उन्हें अपने आश्रम में स्थान दिया। अन्य ऋषियों ने ऋषि मातंगी (Rishi Matang) का तिरस्कार किया लेकिन मातंगी अपने निर्णय पर कायम रहे। शबरी ने अपनी पूरी ऊर्जा शिक्षा ग्रहण करने में, गुरु कीखूब सेवा में, आश्रम की सफाई, गौशाला के कार्य व् अन्य सभी गुरुकुल वासिओं के लिए भोजन का प्रबंध करने में लगा दी। वर्ष बीतने के साथ साथ शबरी की भक्ति और प्रगाढ़ होने लगी। गुरु मातंगी शबरी से बहुत प्रसन्न हुए और एक दिन उन्होंने शबरी को अपने पास बुलाया और कहा की तुम जैसी गुरु परायण शिष्या को उसके कर्मों का उचित फल मिलेगा। एक दिन भगवान् राम तुमसे मिलने यहां आएंगे और उस दिन तुम्हारा उद्धार होगा, तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। इसके पश्चात महर्षि समाधि में लीन हो गए।

ऐसे भगवान् श्री कहलाये शबरी के राम – Shabri Ram Katha in Hindi

एक दिन शबरी पास के तालाब से जल लेने गई। एक ऋषि ने जब उसे तालाब से जल भरते देखा तो क्रोधित होकर उसके सर पर एक पत्थर दे मारा। शबरी की चोट से लहू की धार फुट पड़ी और लहू की एक बूँद तालाब में गिर गयी। कहते हैं की सारे तालाब का पानी रक्त में बदल गया। ऋषि और क्रोधित हुए और उन्होंने शबरी को बहुत बुरा भला कहा। अपमानित शबरी (Shabri) रोती हुई अपने आश्रम लौट आयीं। कहते है की सभी प्रकार की शुद्धियाँ करने के पश्व्चात भी उस तालाब काजल पुनः शुद्ध नहीं हो पाया और सारा जल रक्त में बदल गया।


शबरी और श्री राम प्रसंग – Sabri and Ram Story in Hindi

कई वर्षों पश्चात भगवान् राम सीता की खोज में वहां आये तो लोगों ने उनसे प्रार्थना की की उस तालाब के जल को पाँव से छूकर शुद्ध कर दें। राम ने तालाब के रक्त को छुआ लेकिन कुछ नहीं हुआ। फिर श्री राम ने शबरी से मिलने की इच्छा प्रकट की और शबरी को बुलाया गया। अपने प्रभु का बुलावा मिलते ही शबरी तो जैसे अपनी सुध बुध खोकर बेतहाशा भगति हुई राम के पास पहुंची। कहते हैं की शबरी के पाँव की धूल उस तालाब में जा मिली और जल पुनः पवित्र हो गया। शबरी (Shabri) ने अपने राम के पाँव छूए और आश्रम चलने का आग्रह किया जिसे श्रीराम ने सहर्ष स्वीकार किया।

रोज की भांति शबरी ने आज भी श्री राम के लिए आश्रम सजाया था और बाग़ के सबसे मीठे बेर चख चख कर अपने प्रभु के लिए लायी थी। प्रभु राम ने प्रेम से बेर ग्रहण किये। मातंगी ऋषी का आशीर्वाद फलित हुआ, शबरी को राम (मोक्ष) मिले और ऐसे भगवान् श्री कहलाये शबरी के राम।

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