नवमांश कुंडली एक संक्षिप्त विश्लेषण navmansha kundli brief analysis

नवमांश कुंडली एक संक्षिप्त विश्लेषण Navmansha kundli Brief Analysis

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  • ज्योतिषहिन्दी.इन के नियमित पाठकों का ह्रदय से अभिनन्दन । मित्रों आप जानते ही हैं की विवाह भारतीय सभ्यता का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है । पुरातन काल में इसे गृहस्थ आश्रम की संज्ञा दी गयी है । साथ ही ज्योतिष के माध्यम से भली प्रकार निश्चित किया गया की दो भिन्न सोच समझ वाले प्राणियों को किस प्रकार एक अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा सके जिसमे उनका सर्वांगीण विकास संभव हो पाए । अतः मुख्यतया विवाह के समय लग्न व् चंद्र कुंडली के साथ साथ नवमांश कुंडली का अध्यन भी परम आवश्यक हो जाता है । इसके अतिरिक्त अन्य ग्रहों के सटीक फलादेश के लिए भी नवमांश कुंडली का विधिवत अध्ययन परम आवश्यक हो जाता है क्योंकि नवमांशकुन्डली ही ऐसा एकमात्र साधन है जहाँ से ग्रहों की वास्तविक स्थिति का अध्ययन किया जाता है । नवमांश कुंडली के आभाव में सही फलादेश एक सुनहरी कल्पना के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है …




    नवमांश कुंडली एक संक्षिप्त विश्लेषण Navmansha kundli a Brief Analysis

    क्या है नवमांश कुंडली Navmansh kundli :

    प्रत्येक राशि को ३० डिग्री में विभाजित किया गया है । और प्रत्येक राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं । इसी प्रकार प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण या चार पद होते हैं । नवमांश कुंडली से इस तथ्य का अध्ययन किया जाता है की अमुक गृह वास्तव में किस नक्षत्र के कौन से चरण में स्थित है । यानि नवमांश कुंडली गृह की एक्चुअल स्थिति को बयां करती है । बिना नवमांश कुंडली के अध्ययन के सटीक फलादेश संभव ही नहीं है ।

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    कैसे जाने क्या कहती है नवमांश कुंडली How to Interprate Navmansh kundli :

    यदि विवाह के समय जातिका की जन्मपत्री का अध्ययन किया जा रहा है तो लग्नकुंडली के सप्तम भाव के साथ साथ नवमांश कुंडली के लग्नेश व् सप्तमेश तथा गुरु का अध्यन परम आवश्यक होता है । यदि नवमांश कुंडली का लग्नेश व् सप्तमेश उचित स्थित है और पाप ग्रहों से किसी प्रकार से सम्बंधित नहीं है तथा गुरु भी शुभ स्थित हैं तो विवाह के लिए हामी भरी जा सकती है ।



    यदि प्रकार यदि विवाह के समय जातक की जन्मपत्री का अध्ययन किया जा रहा है तो लग्नकुंडली के सप्तम भाव के साथ साथ नवमांश कुंडली के लग्नेश व् सप्तमेश तथा शुक्र का अध्यन परम आवश्यक होता है । यदि नवमांश कुंडली का लग्नेश व् सप्तमेश उचित स्थित है और पाप ग्रहों से किसी प्रकार से सम्बंधित नहीं है तथा शुक्र भी शुभ स्थित हैं तो विवाह के लिए हामी भरी जा सकती है ।

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    वर्गोत्त्तम गृह Vargottama Grahas :

    जो गृह लग्न व् नवमांश दोनों में ही एक ही राशि में आ जाएँ उन्हें वर्गोत्तम कहा जाता है । और वर्गोत्तम गृह अपना पूर्ण फल प्रदान करने में सक्षम होते हैं । यदि कुंडली का वर्गोत्तम गृह लग्नकुंडली में पाप ग्रहों से दृष्ट या किसी प्रकार सम्बंधित हो तो उसके शुभ फलों में कमी अवश्य आती है ।

    समझदार के लिए इशारा ही काफी है । यदि आप हमारे नियमित पाठक नहीं हैं तो घबराएं नहीं, कुछ समय और ज्योतिषहिन्दी.इन पर बिताएं, अध्ययन के लिए समय दें । निसंदेह आप भी जन्मपत्री पढ़ना अवश्य जानेंगे । आपके परामर्श व् सुझाव हमें और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं । आपके अमूल्य सुझावों का ह्रदय से स्वागत है । हमारे साथ बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद । ॐ नमः शिवाय ….

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