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केदारनाथ धाम का इतिहास History of Kedarnath Dham

हिन्दू संस्कृति में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है । जनश्रुतियों में कहा गया है की बिना चार धाम यात्रा के सम्पूर्ण किये आपको मुक्ति अत्यंत दुर्लभ है । साधकों सन्यासियों का मत है की चार धाम ऊर्जा के ऐसे विशाल भण्डार हैं जहाँ से आपकी आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है । यदि आप संवेदनशील हैं तो यहाँ आपको ऐसे अनुभव प्राप्त हो सकते हैं जो साधारण तौर पर आपकी बुद्धि से परे की बात है । केदारनाथ धाम इन्हीं चार धामों में से एक धाम है । गहरी हिन्दू आस्था का प्रतीक यह पवित्र धार्मिक स्थल भारत के उतराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है । स्वयंभू शिव यहाँ एक ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थित हैं जो शिव के ही बारह जयोतिर्लिंगों में से एक है । हिमालय की गोद में स्थित यहां के केदारनाथ मंदिर के लिए श्रद्धालुओं के मन में गहरी आस्था है । केदारनाथ मंदिर की यात्रा किए बिना बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है । प्रत्येक वर्ष अप्रैल से नवम्बर के बीच इस धाम के लिए मार्ग खुला रहता है । इस समय देश कोने कोने से श्रद्धालु, साधु संत, जिज्ञासु व् साधक आदिनाथ के पवित्र दर्शन के लिए केदारनाथ धाम पहुँचते हैं । हिन्दू संस्कृति में गृहस्थ हों या सन्यासी या गृहस्थ सन्यासी सभी के लिए भोलेनाथ कल्याणकारी कहे गए हैं ।




केदारनाथ धाम का इतिहास History related to Kedarnath Dham :

निश्चित रूप से मंदिर की आयु के बारे में कुछ भी कहना कठिन है । मौजूद तथ्यों के आधार पर यह करीब 1000 वर्ष से एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल रहा है। जनश्रुतियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसका निर्माण पांडव वंश के जन्मेजय ने करवाया था और आदिगुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीणोर्द्वार करवाया था । 2013 में आई बाढ़ और भुस्खलन में मंदिर नष्ट हो गया था । इस प्राकृतिक आपदा में सिर्फ उसका मुख्य हिस्सा और गुबंद ही बचा रह गया था। वर्तमान मंदिर २०१४-१५ के करीब पुनः तैयार किया गया है । यहाँ पर स्थित शिवलिंग को प्राचीन काल से सम्बंधित माना जाता है ।

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केदारनाथ मंदिर की वस्तु कला Architecture Information about Kedarnath Temple :

केदारनाथ मंदिर ऊँचे चौकोर चबुतरे पर बना है जो करीब एक 6 फीट ऊंचा है । भूरे रंग के कटवा पत्थरों के जोड़ से बना यह सुन्दर मंदिर कत्युरी शैली का एक नायब नमूना है । करीब हजार वर्ष पहले बने इस मंदिर में गर्भगृह के तारों तरफ प्रदक्षिणा पथ है । केदारनाथ मंदिर तीन तरफ से सुन्दर पहाड़ो से घिरा हुआ है । यहाँ पाँच नदियों का संगम होता है जिसमें एक मंदाकिनी है । मंदिर के मंडप के बाहर नन्दी विराजमान रहते हैं । ब्रह्मवेला में प्रातः काल शिव पिंड को स्नान करवाने के पश्चात् घी का लेप किया जाता है । तदोपरांत आरती की जाती है । उस समय भक्तजन वहाँ पर पूजा प्रार्थना कर सकते हैं । साँझ के समय उनका श्रंगार किया जाता है । इस समय दर्शक उन्हें केवल दूर से ही देख सकते हैं ।



केदारनाथ मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य Interesting Facts Related to Kedarnath Temple :

इस मंदिर से जुड़ा एक रहस्य यह है की इस मंदिर के शिवलिंग को स्वयंभू कहा जाता है और इस मंदिर में स्थित शिवलिंग त्रिकोण आकर के हैं ।

शिव के प्रसिद्द बारह ज्योतिर्लिंगों में से केदारनाथ मंदिर को पाँचवे ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्धी प्राप्त है ।

केदारनाथ मंदिर की यात्रा किए बिना बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है ।

इस मंदिर के पुजारी मैसूर के जंगम ब्रहामण ही होते हैं ।

समुंद्र से 3581 मीटर की ऊँचाई पर स्थित केदारनाथ में आखिरी 14 किलोमीटर की यात्रा श्रद्धालुओं को ट्रैकिंग करके ही पूरी करनी पड़ती है ।

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