ज्योतिष की दृष्टि में मृत्यु का कारण death reasons in the eyes of jyotisha

ज्योतिष की दृष्टि में मृत्यु का कारण Death Reasons in the Eyes of Jyotisha

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  • मृत्यु के कारणों की चर्चा आरम्भ करने से पूर्व कुछ विशेष बातों को ध्यान में ले लें तो बेहतर होगा । जैसा की आप जानते हैं की लग्न कुंडली के दुसरे और सातवें भाव को मारकेश कहा जाता है । दूसरा और सप्तम भाव मृत्यु तुल्य कष्ट प्रदान करते हैं न की मृत्यु । अष्टम भाव में बैठने अथवा अष्टम भाव को देखने वाले गृह जातक की मृत्यु को दर्शाते हैं ।




    ज्योतिषहिन्दीडॉटइन एक समर्पित माध्यम है जिसके द्वारा हम जिज्ञासुओं के लिए ज्योतिष सम्बन्धी जानकारी लेकर उपस्थित होते हैं । हमारी बातों को अन्यथा न लें । स्वयं अपने अनुभव से परखें तभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचें । श्री रामजी…..

    सूर्य Sun :

    आठवें भाव में सूर्य स्थित हो जाये अथवा सूर्य आठवें भाव को देखता हो तो जातक की मृत्यु हड्डियों के रोग से अथवा दुर्घटना में हड्डी टूटने से जातक मृत्यु को प्राप्त हो सकता है ।

    चन्द्रमा Moon :

    यदि चन्द्रमा लग्न कुंडली के अष्टम भाव में विराजित हो अथवा दुसरे भाव में स्थित होकर अष्टम भाव को देखता हो तो जातक की मृत्यु का कारण जल बनता है । हमारे शरीर में मौजूद पचहत्तर प्रतिशत पानी दुषित हो जाये तो बचने के चान्सेस बहुत कम होते हैं । चंद्र से सम्बंधित शीत रोग भी मृत्यु का कारण बनता है ।

    मंगल Mars :

    मंगल हमारे रक्त में मौजूद होमोग्लोबिन का कारक है । यदि मंगल आठवें भाव में स्थित हो तो रक्त में होमोग्लोबिन की कमी से जातक की मृत्यु हो सकती है । इसके अतिरिक्त अष्टमस्थ मंगल से दुर्घटना अथवा लड़ाई झगडे की संभाववना से इंकार नहीं किया जा सकता है । जातक को आग से खतरा रहता है । इन कारणों से भी मृत्यु हो सकती है ।



    राहु Rahu :

    यदि किसी जातक के अष्टम भाव में राहु स्थित हो तो किडनी में इन्फेक्शन अथवा दुर्घटना से मृत्यु की संभावना बनती है अथवा कोई अज्ञात कारण भी हो सकता है जिसका अनुमान नहीं लग पाता है ।

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    गुरु Guru :

    अष्टमस्थ गुरु हो अथवा गुरु अष्टम भाव को देखता हो तो लीवर खराब हो जाता है । जातक की मृत्यु का कारण पीलिया अथवा लीवर से सम्बंधित कोई बीमारी होती है ।

    शनि Saturn :

    शनि के अष्टमस्थ होने से जातक की आयु निसंदेह लम्बी होती है, परन्तु साथ ही जातक को कोई लम्बी बीमारी भी हो सकती है जो जातक की मृत्यु का कारण बनती है । सभी बावन प्रकार की वायु पर शनि देव का आधिपत्य है । यह बीमारी वायु से सम्बंधित होती है ।

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    बुद्ध Mercury :

    बुद्ध के अष्टमस्थ होने पर वात, पित्त, कफ जिसे त्रिदोष कहा जाता है से जातक की मृत्यु की सम्भवना प्रबल होती है ।

    केतु Ketu :

    केतु के अष्टमस्थ होने अथवा आठवें भाव को देखने से जातक की मृत्यु दुर्घटना अतः अज्ञात कारणों से होती है । डॉक्टर्स मृत्यु की असली वजह खोजने में असमर्थ होते हैं ।

    शुक्र Venus :

    शुक्र यदि अष्टम में स्थित हो अथवा अष्टम भाव को देखता हो तो डायबिटीज ( मधुमेह अथवा शुगर ) मृत्यु का कारण हो सकता है । इसके साथ ही चंद्र या शुक्र अथवा दोनों के अष्टम में स्थित होने पर जल देवी दोष का भी निर्माण होता है इसके बारे में हमारी वेबसाइट ज्योतिषहिन्दीडॉटइन में विस्तार से चर्चा की गयी है ।

    इसके अतिरिक्त अष्टमेश अथवा अन्य ग्रहों के अष्टम भाव के साथ सम्बन्ध से जो प्रभाव निर्मित होता है उसे भी मृत्यु के कारण में सम्मिलित करना चाहिए । ईश्वर आपकी ज्योतिषीय जानकारी में वृद्धि करें । श्रीरामजी…

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